
भारत अब सिर्फ सीमाओं पर नहीं, बल्कि दुनिया के मंच पर भी आतंकवाद के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रहा है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत के 7 संसदीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही 35 से अधिक देशों की यात्रा पर रवाना होंगे। मक़सद है — भारत की आतंकवाद-विरोधी नीति और सीमापार आतंकवाद की वास्तविकता को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पेश करना।
बिहार में मुसलमानन के वोट बैंक टूट रहल बा: नया सियासी महाभारत!
इस डिप्लोमैटिक मिशन में बीजेपी, कांग्रेस, डीएमके, शिवसेना, AIMIM, JDU समेत कई दलों के सांसद शामिल हैं। खुद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर नेताओं की विस्तृत सूची साझा की है।
कौन-कौन जाएगा और कहां?
ग्रुप-1
बैजयंत पांडा, निशिकांत दुबे, असदुद्दीन ओवैसी सहित प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया की यात्रा करेगा।
मक़सद: खाड़ी देशों में भारत के रुख को मजबूती देना।
ग्रुप-2
रवि शंकर प्रसाद, प्रियंका चतुर्वेदी और अन्य यूके, फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय संघ, इटली, डेनमार्क जाएंगे।
मक़सद: यूरोप में रणनीतिक साझेदारी और आतंकवाद पर संवाद।
ग्रुप-3
संजय झा, यूसुफ पठान समेत प्रतिनिधि इंडोनेशिया, मलेशिया, कोरिया, जापान, सिंगापुर के दौरे पर।
मक़सद: दक्षिण-पूर्व एशिया में चरमपंथी नैरेटिव्स का पर्दाफाश।
ग्रुप-4
बांसुरी स्वराज, श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में प्रतिनिधि UAE, लाइबेरिया, कांगो, सिएरा लियोन जाएंगे।
मक़सद: अफ्रीकी देशों में भारत का कूटनीतिक प्रभाव बढ़ाना।
ग्रुप-5
शशि थरूर, तेजस्वी सूर्या की टीम अमेरिका, पनामा, ब्राज़ील, कोलंबिया, गुयाना का दौरा करेगी।
मक़सद: पश्चिमी गोलार्ध में भारतीय रुख को मजबूत करना।
ग्रुप-6
कनिमोझी और प्रतिनिधि स्पेन, स्लोवेनिया, ग्रीस, लातविया, रूस जाएंगे।
मक़सद: यूरोपीय देशों में भारत की नीति पर समर्थन जुटाना।
ग्रुप-7
सुप्रिया सुले, अनुराग ठाकुर की टीम मिस्र, क़तर, इथियोपिया, दक्षिण अफ्रीका की यात्रा करेगी।
मक़सद: अरब-अफ्रीकी देशों में भारत की आतंकवाद नीति साझा करना।
क्या बोले मंत्री रिजिजू?
“ये भारत की वैश्विक कूटनीति का विस्तार है। आतंकवाद पर हमारी स्थिति स्पष्ट और मजबूत है। हम दुनिया को यह दिखाना चाहते हैं कि भारत पीड़ित ही नहीं, अब निर्णायक है।”
क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
यह भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा हाल में की गई कार्रवाई है जिसमें सीमा पार आतंकी लॉन्चपैड्स पर सर्जिकल और प्रिवेंटिव स्ट्राइक की खबरें सामने आईं। इस ऑपरेशन ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को और स्पष्ट किया।
राजनीतिक संदेश क्या है?
सभी प्रमुख दलों के सांसदों को इस दौरे में शामिल करना यह दर्शाता है कि भारत की आतंकवाद विरोधी नीति अब ‘पार्टी से ऊपर, राष्ट्र के लिए’ के सिद्धांत पर खड़ी है।
क्या बदलेगा वैश्विक दृष्टिकोण?
अगर ये प्रतिनिधिमंडल अपनी भूमिका निभाने में सफल रहे, तो यह आतंकवाद के प्रति दुनिया का नजरिया बदल सकता है—खासतौर पर भारत के संदर्भ में।
यह दौरा केवल विदेश नीति नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक छवि गढ़ने की एक निर्णायक कोशिश है। 2025 में यह ‘सिंदूर’ भारत की संप्रभुता का प्रतीक बनकर वैश्विक रंगमंच पर उभरेगा।
इसराइल-हमास युद्धविराम वार्ता: 60 दिन की शांति और बंधकों की रिहाई पर नया प्रस्ताव